Friday, January 25, 2008

चीज..

अस्‍ताई
तुम्‍हरे बिन कछु सूझत नांहि
भई दीवानी मीरा जैसी ।
तरपत हूं दिन रात मैं प्‍यासी
घायल जलबिन मछली सी।।
अंतरा
कब आओगे मोरी अटरिया
सकल सुहावन सांवरिया ।
बिनती करत मनवा बांवरिया
आवो बेगिन म्‍हारो पिया।।

2 Comments:

Blogger sunil said...

mat ban jao mira.........
tohi aayenge aapake savariya........

4:28 AM  
Blogger sonal m m said...

aai kuthchya ragat tu hi cheej mhanshil?
bihag chaan vatel.

10:03 PM  

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