चीज..
अस्ताई
तुम्हरे बिन कछु सूझत नांहि
भई दीवानी मीरा जैसी ।
तरपत हूं दिन रात मैं प्यासी
घायल जलबिन मछली सी।।
अंतरा
कब आओगे मोरी अटरिया
सकल सुहावन सांवरिया ।
बिनती करत मनवा बांवरिया
आवो बेगिन म्हारो पिया।।
तुम्हरे बिन कछु सूझत नांहि
भई दीवानी मीरा जैसी ।
तरपत हूं दिन रात मैं प्यासी
घायल जलबिन मछली सी।।
अंतरा
कब आओगे मोरी अटरिया
सकल सुहावन सांवरिया ।
बिनती करत मनवा बांवरिया
आवो बेगिन म्हारो पिया।।
2 Comments:
mat ban jao mira.........
tohi aayenge aapake savariya........
aai kuthchya ragat tu hi cheej mhanshil?
bihag chaan vatel.
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