चीज..
अस्ताई
तुम्हरे बिन कछु सूझत नांहि
भई दीवानी मीरा जैसी ।
तरपत हूं दिन रात मैं प्यासी
घायल जलबिन मछली सी।।
अंतरा
कब आओगे मोरी अटरिया
सकल सुहावन सांवरिया ।
बिनती करत मनवा बांवरिया
आवो बेगिन म्हारो पिया।।
तुम्हरे बिन कछु सूझत नांहि
भई दीवानी मीरा जैसी ।
तरपत हूं दिन रात मैं प्यासी
घायल जलबिन मछली सी।।
अंतरा
कब आओगे मोरी अटरिया
सकल सुहावन सांवरिया ।
बिनती करत मनवा बांवरिया
आवो बेगिन म्हारो पिया।।